An ordinary story of ordinary mother and daughter
एक बार की बात है, एक अत्यंत साधारण और संतुष्ट बचपन वाली बेटी होती है जिसका नाम रिया है। उसकी मां, एक साधारण ,प्रशांत और सुखी जीवन जीने वाली महिला है जिनका नाम नीता है। नीता अपनी बेटी के साथ हमेशा प्यार और समर्पण के साथ रहती है।
रिया और नीता का रिश्ता बहुत गहरा होता जाता है जब रिया अपने बचपन के दिनों से अपनी मां की पास हर मुसीबत में जाती है। वे दोनों एक-दूसरे की साथी, संगी, और सहयोगी बन जाती हैं। रिया को अपनी मां की मुस्कान, आदर्श और समर्पण देखकर हमेशा आदर्श बेटी बनने की प्रेरणा मिलती है।
जैसे-जैसे रिया की उम्र बढ़ती जाती है, उसके सपने भी बड़े होते जाते हैं।उसे बहुत सारे अवसर मिलते हैं। उसे एक बड़ी कंपनी में नौकरी का अवसर मिलता है और वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए शहर से दूसरे शहर में जाने का निर्णय लेती है। रिया का यह निर्णय नीता के लिए थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन वह अपनी बेटी की खुशी के लिए उसे समझती है और उसे समर्थन करती है। रिया अपने नए शहर में सफलता की ओर बढ़ती है और अपने प्रतिभा और मेहनत से नये ऊँचाइयों को छूती है। धीरे-धीरे, उसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर उन्नति मिलती है। रिया की सफलता उसकी मां के लिए गर्व की बात होती है। नीता हमेशा रिया के साथ है, उसे प्रेरणा देती रहती है और उसकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करती है।
समय बितते बिताते, रिया के दिल में एक खालीपन सा महसूस होने लगता है। वह यह अनुभव करती है कि वह अपनी मां के साथ अपने सभी खुशियों और दुःखों को बांट सकती है, लेकिन अपने सफलता के लिए उसके पास अपनी मां की आवश्यकता नहीं होती है। इसके परिणामस्वरूप, वह अपने करियर के लिए और अधिक समय देने लगती है और उसे लगता है कि उसकी मां अकेली और असहाय हो जाएंगी।
एक दिन, जब रिया अपनी व्यस्तताओं में डूबी हुई होती है, उसे अचानक अपनी मां की याद आती है। वह उसकी हँसी, स्नेह, और प्यार को याद करती है। उसे एक अनजानी चिंता होती है कि क्या वह अपनी मां को छोड़कर बहुत आगे बढ़ गई है और क्या उसने उसके लिए पर्याप्त समय नहीं दिया है। इस चिंता से प्रेरित होकर, रिया तत्परता से अपने नगर वापस जाती है, जहां उसकी मां अकेली रहती हैं।
रिया उदार और प्यारी मां के सामर्थ्य को देखकर अचंभित हो जाती है। नीता उसे हँसते हुए स्वागत करती है और कहती है, "तूने मुझे खो दिया था, पर तेरे लिए मैं यहीं रही हूँ।" रिया रोते हुए अपनी मां के आगोश में गिरती है और उनसे माफी मांगती है। नीता उसे धीरे-धीरे समझाती है कि परिवार और संबंध हमेशा पहले आते हैं।
इस परिवारिक मिलन के बाद, रिया और नीता का रिश्ता मजबूती से बढ़ता है। रिया ने समझा कि सफलता और पैमाने के बढ़ जाने से पहले, परिवार और प्यार को महत्व देना जरूरी है।
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