बरसात
ये भी क्या बात हुई ,सारे शहर में बरसात हुई ,सब भीगा किये रिमझिम में ,हम निकले ही थे घर से भीगने, हुआ यूं कि बरसात गयी।
कभी ऐसा महसूस होता है कि जब भी हम कुछ भी करने लगते है या करना चाहते है ,वही काम बिगड़ने लगते है ।
जबकि पूरी लगन मेहनत और इच्छाशक्ति से करने की कोशिश करते है और वही कुछ लोग है जो एक प्रयास में झंडे गाड़ देते है। इसके जवाब बहुत है , पर मुझे कोई जवाब जमता ही नही है ये क्यों होता है? कैसे होता है?
पर अक्सर होता और जब भी होता है बस एक एहसास होता है है, ये ठीक नही हुआ!
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